
तो ज्ञान ही तो वह साधन है, जिससे मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है। वैसे ‘गीता’ के हर अध्याय में भगवान ने ज्ञान सुनाते हुये कहा-‘‘हे अर्जुन! तू इस मार्ग पर चलता हुआ, मुझे प्राप्त करेगा’’ उन्हें प्राप्त करना; कि जो उन्हें ही प्राप्त करने वाला है, वह जीवन-मरण के बंधन से, मुक्त हो जायेगा। जो उनकी ओर जाते हुये भी, शरीर को छोड़ती हुई आत्मा फिर से अगर जन्म लेती है, तो वह उनको नहीं प्राप्त कर पाती; लेकिन जो जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है, जिसे वे मुक्त कर देते हैं, वही उनका अपना हो जाता है, और ऐसे ही प्राणी संसार में, ऐसे समय में आते हैं; जब भगवान धरा पर अपना धर्म, अपना कर्तव्य, पूरा करने के लिये आते हैं...
_कृष्णचेतनावतार देवी माँ कुसुम जी
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